Chandragupta Maurya

चंद्रगुप्त मौर्य




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चंद्रगुप्त मौर्य : ------------------------


चंद्रगुप्त मौर्य , मौर्य वंश के महान शासक थे जिन्होंने पूरे भारत वर्ष को एक जुट कर भारत को सुदृढ़ और ताकतवर बनाया था । हालांकि चंद्रगुप्त एक खोज है जिससे तक्षशिला के एक हटी शिक्षक अपितु इन्हें एक महान देश भक्त कहे तो ज्यादा अच्छा होगा जिन्होंने भारत को बाहरी शत्रुओं से सुरक्षित करने के लिए एक राजा का सृजन कर दिया अपने अनंत प्रयासों के बलबूते ।
चंद्रगुप्त मौर्य की खोज और तक्षशिला ।
चुकी चंद्रगुप्त मौर्य को आचार्य चाणक्य ने एक मत के अनुसार किसी व्यापारी से खरीदा था जिसके पश्चात कौटिल्य ने चंद्रगुप्त की माता जिनका नाम मुरा बताया जाता है बहुत सारे इतिहासकारो के अनुसार तो उनसे आचार्य ने चंद्रगुप्त को एक मगध का भावी राजा बनाने का वचन दे कर गुरुकुल ले आये जहाँ चंद्रगुप्त मौर्य की शिक्षा का प्रबंध कराया गया । कुछ समय उपरांत जब गुरुकुल में दिए जाने वाले ज्ञान से चंद्रगुप्त मौर्य अवगत हो गए तत्पश्चात उन्हें बाहर देश विदेश में मिलने वाले ज्ञान के लिए अपने साथ ले कर निकाल गए ।
चंद्रगुप्त की गुरुकुल के उपरांत की शिक्षा ।
माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य को ले कर आचार्य चाणक्य जंगलो , गाँव , शहर सभी जगह घूमते । वन में मिलने वाले भोजन के सामग्री से अपने पेट की भूख दूर कर अपने कार्य पर लग जाते । चाणक्य और चंद्रगुप्त दोनो अपने ज्ञान के साथ कौटिल्य के कूट नीतियों की सहायता से मगध पर छोटे मोटे आक्रमण भी करते रहते थे ।
चंद्रगुप्त मौर्य एवं सिकंदर महान ।
सिकंदर के झेलम नदी पार कर सिंधु के पास पहुँच जाने की वजह से दोनों ने नए योजना पर कार्य करना आरंभ कर दिया । तथा चंद्रगुप्त सिकंदर की सेना में जा मिले जहा मन जाता है कि उन्होंने सिकंदर की सेना में भारत मे पूजे जाने वाले देवी देवताओं की ताकत का डर पैदा कर सिकंदर की सेना को अंदर से कमजोर कर दिया जिसके उपरांत सिकंदर ने भी घर अपने देश लौटने की ईक्षा प्रकट की और अपने कदम को वही रोकने का फैसला किया ।
चंद्रगुप्त का राज्य अभिषेक ।
जिसके उपरांत चंद्रगुप्त और गुरु चाणक्य पुनः नंद वंश के शासक धनानंद को राज्य गद्दी से उतरने की योजना पर कार्य आरंभ कर दिया । अत्यंत प्रयासों के पश्चात चंद्रगुप्त राजा बन गया । चुकी चंद्रगुप्त एक मान्यता के अनुसार धनानंद की पुत्री दुर्धरा से प्रेम करता था तो कौटिल्य के सहमति से पहली रानी का दर्जा दिया गया धनानंद की पुत्री को तत्पश्चात सेल्युकस की पुत्री से विवाह संपन्न करवाएगा जिससे यवन की सेना पुनः आक्रमण करने की चेष्ठा न करे ।
दुर्धरा की मौत ।
माना जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य की प्रथम पत्नी के गर्भ के अंतिम महीनों में सेल्युकस की पुत्री के राजनैतिक चाल में सफल हो जाने की वजह से दुर्धरा के भजन में विष मिलाना संभव हो गया जिसके उपरांत चाणक्य ने महारानी दुर्धरा के सिर को धार5 से अलग करने का मात्र एक उपाय की सहायता से गर्भ में पल रहे बच्चे को बचाया जा सका किन्तु महारानी दुर्धरा का अंत हो गया ।
चंद्रगुप्त एवं पुत्र ।
चंद्रगुप्त के बड़े पुत्र जस्टिन जो कि सेल्युकस की पुत्री का बेटा था एवं दूसरा पुत्र बिंदुसार जो कि महारानी दुर्धरा का पुत्र था । दोनो हरेक कला में निपुण थे किंतु चाणक्य की नीतियों ने भारत के भावी राजा के रूप में बिंदुसार को सक्षम माना और भी कुछ कारणों की वजह से चाणक्य ने नए नियम बनाया जिसमे बिंदुसार सफल हो पाया अतः चंद्रगुप्त के पश्चात बिंदुसार को राजा घोसित कर दिया गया विशाल साम्राज्य का ।
चंद्रगुप्त का जैन धर्म अपनाना ।
चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने शासन काल मे विनाशकारी बीमारी से सभी को बचाने हेतु प्रयास किया अंततः राज्य को चाणक्य के हवाले छोड़ जैन धर्म अपना लिया ।






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